Omsanatan
Monday, October 14, 2019
कबीर दास जी के दोहे
मैं मैं बड़ी बलाय है, स
कै तो निकसी भागि।
कब लग राखौं हे सखी, रूई लपेटी आगि॥
अर्थ:
अहंकार बहुत बुरी वस्तु है. हो सके तो इससे निकल कर भाग जाओ. मित्र, रूई में लिपटी इस अग्नि – अहंकार – को मैं कब तक अपने पास रखूँ?
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