Monday, July 29, 2019

कबीर दास जी के दोहे


रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ॥
अर्थ: रात नींद में नष्ट कर दी – सोते रहे – दिन में भोजन से फुर्सत नहीं मिली यह मनुष्य जन्म हीरे के सामान बहुमूल्य था जिसे तुमने व्यर्थ कर दिया – कुछ सार्थक किया नहीं तो जीवन का क्या मूल्य बचा ? एक कौड़ी –

Saturday, July 27, 2019

कबीर दास जी के दोहे

आछे / पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत ।
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत ।।
अर्थ: देखते ही देखते सब भले दिन – अच्छा समय बीतता चला गया – तुमने प्रभु से लौ नहीं लगाई – प्यार नहीं किया समय बीत जाने पर पछताने से क्या मिलेगा? पहले जागरूक न थे – ठीक उसी तरह जैसे कोई किसान अपने खेत की रखवाली ही न करे और देखते ही देखते पंछी उसकी फसल बर्बाद कर जाएं।

आज का राशिफल

Friday, July 26, 2019

कबीर दास जी के दोहे

अर्थ: कबीर कहते हैं – अज्ञान की नींद में सोए क्यों रहते हो? ज्ञान की जागृति को हासिल कर प्रभु का नाम लो।सजग होकर प्रभु का ध्यान करो।वह दिन दूर नहीं जब तुम्हें गहन निद्रा में सो ही जाना है – जब तक जाग सकते हो जागते क्यों नहीं? प्रभु का नाम स्मरण क्यों नहीं करते ?

Wednesday, July 24, 2019

कबीर दास जी के दोहे

अर्थ: जब मैं अपने अहंकार में डूबा था – तब प्रभु को न देख पाता था – लेकिन जब गुरु ने ज्ञान का दीपक मेरे भीतर प्रकाशित किया तब अज्ञान का सब अन्धकार मिट गया  – ज्ञान की ज्योति से अहंकार जाता रहा और ज्ञान के आलोक में प्रभु को पाया।

सावन के महिने का हिन्दू धर्म में है खास महत्व



सावन के महिने का लोगों को खास इंतजार होता है क्योंकि इस महिने में देवों के देव यानि शिव जी की खास पूजा की जाती हैं. और इस पूजा के जरिए आप महादेव को खुश कर सकतें हैं. कहते हैं कि इस महीने में भगवान् शिव अपने भक्तों पर खास कृपा रखते हैं. सावन का महिना जितना लोगों के महत्व रखता हैं उतना ही महादेव को भी प्रिय हैं.

क्यों सावन महीना महादेव को है प्रिय

कहा जाता है कि जब भगवान शिव से पूछा गया कि उन्हें सावन मास इतना क्यों पसंद हैं? तो भगवान शंकर ने कहा था कि जब देवी सती ने राजा दक्ष के यहाँ योगशक्ति से अपने शरीर का त्याग किया था, तब उन्होंने मन ही मन महादेव यानि मुझे पाने का प्रण किया था. अपनी मृत्यु के बाद सती ने अपना दूसरा जन्म पार्वती के रूप में हिमालय राज और उनकी पत्नी मैना के घर लिया. पार्वती युवावस्था में भी भगवान शिव को पाने के लिए इसी सावन मास में निराहार रह कर कठोर व्रत करती रही, जिससे महादेव प्रसन्न होकर पार्वती को अपनी धर्मपत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था.
पार्वती द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने की बात हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावन मास में हुई थी इसलिए भगवान् शिव के लिए यहाँ महीना महत्वपूर्ण हैं.
ऐसी मान्यता हैं कि इस पुरे महीने माता पार्वती के समान यदि कोई स्त्री भगवान शिव जैसी पति की कामना रखते हुए महादेव की विशेष पूजा करती है, तो भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.
इस पूरे मास में भगवान शिव को सोमपत्र और बेलपत्र के साथ पानी और दुग्ध स्नान कराया जाता हैं साथ ही प्रसाद के रूप में श्रीफल के अलावा भोले नाथ के प्रिय फल धतूरा भी चढ़ाया जाता हैं.


Tuesday, July 23, 2019

कबीर दास जी के दोहे

अर्थ: मनुष्य मात्र को समझाते हुए कबीर कहते हैं कि मन की इच्छाएं छोड़ दो , उन्हें तुम अपने बूते पर पूर्ण नहीं कर सकते। यदि पानी से घी निकल आए, तो रूखी रोटी कोई न खाएगा।

कबीर दास जी के दोहे

Sunday, July 21, 2019

कबीर दास जी के दोहे

कबीर सो धन संचे, जो आगे को होय।
सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय।
अर्थ: कबीर कहते हैं कि उस धन को इकट्ठा करो जो भविष्य में काम आए। सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा।

Thursday, July 11, 2019

श्री विष्णु भगवान दोहा



श्री विष्णु भगवान  दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय॥

Wednesday, July 10, 2019

कबीर दास जी दोहे


संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत
चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत।

गणपति चालीसा

जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
[हे सद्गुणों के सदन भगवान श्री गणेश आपकी जय हो, कवि भी आपको कृपालु बताते हैं। आप कष्टों का हरण कर सबका कल्याण करते हो, माता पार्वती के लाडले श्री गणेश जी महाराज आपकी जय हो।]

कबीर दास जी के दोहे


ऐसा कोई ना मिले, हमको दे उपदेस।
भौ सागर में डूबता, कर गहि काढै केस।
अर्थ: कबीर संसारी जनों के लिए दुखित होते हुए कहते हैं कि इन्हें कोई ऐसा पथप्रदर्शक न  मिला जो उपदेश देता और संसार सागर में डूबते हुए इन प्राणियों को अपने हाथों से केश पकड़ कर निकाल लेता।

Monday, July 8, 2019

कबीर दास जी के दोहे


झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद।
खलक चबैना काल का, कुछ मुंह में कुछ गोद।
अर्थ: कबीर कहते हैं कि अरे जीव ! तू झूठे सुख को सुख कहता है और मन में प्रसन्न होता है? देख यह सारा संसार मृत्यु के लिए उस भोजन के समान है, जो कुछ तो उसके मुंह में है और कुछ गोद में खाने के लिए रखा है।

Thursday, July 4, 2019

अमरनाथ यात्रा शुरु, भगवान शिव ने सुनाई थी अमर होने की कथा…



देवों के देव महादेव के बर्फानी अवतार के दर्शन के लिए पूरी दुनिया भर से श्रद्धालु हर साल अमरनाथ य़ात्रा के लिए भारत आते हैं…वर्ष 2019 में अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 1 जुलाई से शुरु होकर 15 अगस्त तक चलेगीऐसे में हम आपको बाबा बर्फानी की पूरी कहानी बताने जा रहें है कि कैसे मिला बाबा का गुफा, कब से शुरु हुई यात्रा, क्या मुस्लिम व्यक्ति ने की थी गुफा की खोज, क्या है धार्मिक मान्यताधार्मिक मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को इसे गुफा में बैठकर अमर होनें की कथा सुनाई थीजिस नाम पर इस गुफा का नाम अमरनाथ रखा गया
कहा जाता है कि सबसे पहले 16वीं शताब्दी में एक मुस्लिम रवाहे ने बाबा बर्फानी के इस पवित्र गुफा को देखा थाजिसके बाद उसने ही सभी को इस पवित्र गुफा के बारे में बतायाजिसके बाद हिंदू समाज के लोगों ने इसे महादेव का प्रतीक मानकर इसकी यात्रा शुरु की थी
इतना ही नहीं अमरनाथ गुफा की खोज की कहानी तो ओर भी दिलचस्प है
कहा जाता है कि मुस्लिम चरवाहे को भेड़ चराते हुए एक साधू मिलासाधू ने उस चरवाहे को कोयलों से भरी एक बोरी दीजब चरवाहे ने घर पहुंच कर बोरी खोली तो वह देख कर हैरान रह गया की वह बोरी सिर्फ सोने चांदी से भरी हुई थीचरवाहे ने साधु को ढूंढने की कोशिश की पर वह कहीं नहीं मिला
इसी दौरान साधु को ढूंढते हुए वह पवित्र गुफा के पास जा पहुंचा जहां उसने बर्फ से बने शिवलिंग को देखाउसने इसकी सूचना लोगों को दी तब से लोग दूर-दराज से शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आने लगे