यहां इन रहस्यों के सामने तकनीकी एवं विज्ञान ने भी टेक दिए घुटने।
परीक्षितगढ़, पाण्डवों के पोते राजा परीक्षित द्वारा
बसाया एक नगर है जो मेरठ जिले में पड़ता है। कहा जाता है कौरवों की माता रानी
गांधारी हस्तिनापुर से यहां एक पुरानी सुरंग द्वारा आती थी और सरोवर में स्नान-ध्यान करके शिव मंदिर में पूजा करती थीं। यही वह मंदिर हैं जहां प्राचीन काल से ही एक रहस्य बना हुआ है कि मूर्ति कब और किस समय अपना स्थान बदलती है।आज तक लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं।
रहस्य और रोमांच का मंदिर : परीक्षितगढ़
इस प्राचीन शिव मंदिर में दो मूर्तियां है एक नंदी भगवान की और एक गाय माता की। जो कि अगल-बगल स्थापित हैं और ये जमीन के अंदर काफी गहराई तक गाड़ी हुई हैं। फिर भी ये हर छः महीने पर अपने-अपने स्थानों की अदला-बदली करती हैं।ये रहस्य अपने आप में विज्ञान के लिए एक चुनौती है। इस प्राचीन शिव मंदिर का एक और इतिहास भी है जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, एक अदभुत रहस्य- हस्तिनापुर को जोड़ती हुई गुफा रूपी सुरंग।
जो कि आज देखने मे इतनी संकरी है कि उसके अंदर घुसना सीधे मृत्यु को दावत देने जैसा है पर फिर भी कहा यही जाता है कि गांधारी इसी
सुरंग से यहां पवित्र सरोवर में स्नान करके शिव मंदिर में पूजा करने आती थी। यहां
पास में ही एक जगह है उसका नाम भी रानी गांधारी के नाम पर गंधार रखा गया है। वैसे तो इस स्थान पर और भी कई रहस्य हैं पर समय-समय पर मूर्तियों के स्थान की अदला-बदली आज भी एक ऐसा रहस्य बना हुआ है जिसे कोई सुलझा नही पाया।
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