Omsanatan
Sunday, July 21, 2019
कबीर दास जी के दोहे
कबीर सो धन संचे, जो आगे को होय।
सीस
चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय।
अर्थ:
कबीर कहते हैं कि उस धन को इकट्ठा करो जो
भविष्य में काम आए। सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा।
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