Omsanatan
Tuesday, July 23, 2019
कबीर दास जी के दोहे
माया
मुई न मन मुआ, मरी मरी गया सरीर।
आसा त्रिसना न मुई, यों कही गए कबीर ।
अर्थ:
कबीर कहते हैं कि संसार में रहते हुए न माया
म
रती है न मन। शरीर न जाने कितनी बार मर चुका पर मनुष्य की आशा और तृष्णा कभी नहीं मरती, कबीर ऐसा
कई बार कह चुके हैं।
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