आज श्री गुरु नानक देव
जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। आज के दिन पूरा शहर गुरु की भक्ती में
लीन हो जाएगा। मंगलवार को यानी की आज श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। आज के दिन पूरा शहर जगमगा जाएगा और गुरु की भक्ती में लीन हो जाएगा। इस प्रकाश पर्व के लिए शहर के विभिन्न गुरुवारों को साजाया जा रहा है। गुरुद्वारों को फूलों की माला व दीप आदि लगाकर सजावट दी जा रही है। श्री गुरु सिंह सभा गुरु नानक देव का 550वां प्रकाश पर्व धूमधाम से मना रहें हैं। प्रकाश पर्व के दिन रोडवेज के निकट स्थित गुरुद्वारे पर मुख्य दरबार सजेगा। गुरु जी का अटूट लंगर शहर के हर गुरुद्वारे में बटे। इसी के साथ शहर के सभी गुरुद्वारों को भव्य रूप से सजाया गया है। प्रकाश पर्व की धूम पुरे शहर में अलग ही नज़र आ रही है। सभी गुरुद्वारों के सेवक और संगत सुबह से ही गुरुद्वारे में पहुंचकर कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। सोमवार सुबह से ही सेवकों ने सजावट शुरु कर दी थी। साथ ही सेवकों ने बताया कि इस बार 550वें
प्रकाश पर्व के अवसर पर पहली बार गुरुद्वारे को फूलों से सजाया जा रहा है। साथ ही सेवकों ने बताया कि गुरुद्वारे में पाठ, कीर्तन, लंगर आदि का आयोजन किया गया है। इसी के साथ आतिशबाजी का भी आयोजन किया जाएगा।
Tuesday, November 12, 2019
Wednesday, October 23, 2019
Monday, October 14, 2019
Friday, October 11, 2019
Friday, October 4, 2019
कबीर दास जी के दोहे
अर्थ: मानव जन्म पाना कठिन है. यह शरीर बार-बार नहीं मिलता. जो फल वृक्ष से नीचे गिर पड़ता है वह पुन: उसकी डाल पर नहीं लगता .
Sunday, September 29, 2019
कबीर दास जी के दोहे
तू कहता कागद की लेखी मैं कहता आँखिन की देखी ।
मैं कहता सुरझावन हारि, तू राख्यौ उरझाई रे ॥
मैं कहता सुरझावन हारि, तू राख्यौ उरझाई रे ॥
अर्थ: तुम कागज़ पर लिखी बात को सत्य कहते हो – तुम्हारे लिए वह सत्य है जो कागज़ पर लिखा है. किन्तु मैं आंखों देखा सच ही कहता और लिखता हूँ. कबीर पढे-लिखे नहीं थे पर उनकी बातों में सचाई थी. मैं सरलता से हर बात को सुलझाना चाहता हूँ – तुम उसे उलझा कर क्यों रख देते हो? जितने सरल बनोगे – उलझन से उतने ही दूर हो पाओगे.
Thursday, September 26, 2019
कबीरदास के दोहे
काची काया मन अथिर थिर थिर काम करंत ।
ज्यूं ज्यूं नर निधड़क फिरै त्यूं त्यूं काल हसन्त ॥
ज्यूं ज्यूं नर निधड़क फिरै त्यूं त्यूं काल हसन्त ॥
अर्थ: शरीर कच्चा अर्थात नश्वर है मन चंचल है परन्तु तुम इन्हें स्थिर मान कर काम करते हो – इन्हें अनश्वर मानते हो मनुष्य जितना इस संसार में रमकर निडर घूमता है – मगन रहता है – उतना ही काल (अर्थात मृत्यु )उस पर हँसता है ! मृत्यु पास है यह जानकर भी इंसान अनजान बना रहता है ! कितनी दुखभरी बात है.
Wednesday, September 25, 2019
Monday, September 23, 2019
कबीर दास जी के दोहे
मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह।
ए सबही अहला गया, जबहीं कह्या कुछ देह॥
ए सबही अहला गया, जबहीं कह्या कुछ देह॥
अर्थ: मान, महत्त्व, प्रेम रस, गौरव गुण तथा स्नेह – सब बाढ़ में बह जाते हैं जब किसी मनुष्य से कुछ देने के लिए कहा जाता है.
Friday, September 20, 2019
कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे
कबीर प्रेम न चक्खिया,चक्खि न लिया साव।
सूने घर का पाहुना, ज्यूं आया त्यूं जाव॥
सूने घर का पाहुना, ज्यूं आया त्यूं जाव॥
अर्थ: कबीर कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने प्रेम को चखा नहीं, और चख कर स्वाद नहीं लिया, वह उसअतिथि के समान है जो सूने, निर्जन घर में जैसा आता है, वैसा ही चला भी जाता है, कुछ प्राप्त नहीं कर पाता.
Sunday, August 25, 2019
कबीर दास जी के दोहे
कबीर थोड़ा जीवना, मांड़े बहुत मंड़ाण।कबीर थोड़ा जीवना, मांड़े बहुत मंड़ाण॥
अर्थ: बादल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने लगे. इससे मिट्टी तो भीग कर सजल हो गई किन्तु पत्थर वैसा का वैसा बना रहा.
Friday, August 23, 2019
कबीर दास जी के दोहे
कहत सुनत सब दिन गए, उरझी न सुरझ्या मन।
कहि कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन॥
कहि कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन॥
अर्थ: कहते सुनते सब दिन बीत गए, पर यह मन उलझ कर न सुलझ पाया ! कबीर कहते हैं कि यह मन अभी भी होश में नहीं आता. आज भी इसकी अवस्था पहले दिन के ही समान है.
जन्माष्टमी का पर्व हिन्दू पंचाग के अनुसार, भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।
कब है
जन्माष्टमी, ये सवाल इस वक़्त कौतूहल का विषय बना हुआ है। संयोग से इस बार 23 अगस्त और 24 अगस्त दोनों ही दिन जन्माष्टमी है। जन्माष्टमी का पर्व हिन्दु पंचाग के अनुसार, भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। हालांकि हिंदू मान्यताओं
के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव कोजन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। समान्यतः जब जन्माष्टमी दो दिन की होती है तोइसमें विशेष उपासक पहले दिन जन्माष्टमी मानते हैं यानि कि 23 अगस्त जबिक आम लोग अगले दिन जन्माष्टमी मना सकते हैं मातल कि 24 अगस्त और अगर उदया तिथि अष्टमी की बात करें तो यह 24 अगस्त को है।
शहर में 24 अगस्त को
इस पर्व को धूमधाम से मनाने की तैयारी की गई है। इसके अलावा पौराणिक कथाओं के
मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो महीने की कृष्ण पक्ष की
अष्टमी में रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था, जो कि इस बार 23 अगस्त को
पड़ रहा है। इस वजह से जन्माष्टमी 23 अगस्त कोही मनाई जाएगी। भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणीनक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चंद्रमा ग्रह भी
उच्च राशि में है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी के
साथ सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में होगा। रोहिणी नक्षत्र में इनकी पूजा करने से
संतान प्राप्ति, आयु तथा समृद्धि में वृद्धि होती है।कहने का मतलब ये है कि इस
बार जन्माष्टमी मनाने के दिन को लेकर अलग-अलग मतभेद हैं। फिर भी पर्व कि तैयारियां
बड़े ज़ोर शोर से चल रहीं हैं। लड्डू-गोपाल के जन्म से लेकर छठी तक ये त्यौहार बड़े
हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाएगा। वैसे तो पूजन विधि के भी विविध प्रकार हैं पर
मूलतः यही पूजा विधि प्रयोग की जाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी का हिन्दूधर्म में बहुत महत्व है । मान्यतानुसार भगवान विष्णु और लक्ष्मी मां की
कृपा-दृष्टि मिलती है श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर। भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के
ही अवतार हैं। इसके अलावा भगवान कृष्ण का ध्यान, व्रत और पूजा
करने
से उनकी विशेष कृपा प्राप्ति होती है, इसलिए वैष्णव पंथ का पालन
करने वाले हिन्दू धर्म के उपासक भगवान कृष्ण को अपना आराध्य मानते हैं। ऐसे में
आराध्य की याद में लोग प्रति वर्ष लोग उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।
जन्मोत्सव में भोग इत्यादि
का भी विधान होता है, इस
एक मंत्र के साथ भोग लगाना चाहिए-
त्व देवां वस्तु गोविंद
तुभ्यमेव समर्पयेति!!
भोग के लिए मूलतः माखन
मिश्री, दूध, घी, दही और मेवा काफी महत्व
पूर्ण माना गया है। पूजा में पांच फलों का भी भोग लगा सकते हैं। चूंकि भगवान कृष्ण
को दूध-दही बहुत पसंद था ऐसे में उनके भोग में दूध, दही और माखन जरूर सम्मिलित
करना चाहिए। दही एवं दूध का पंचामृत भी भोग का एक महत्वपूर्ण अंग है।
रही बात पूजन विधि कि तो
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने वाला सुबह में स्नानादि कर ब्रह्मा आदि पंच देवों को
नमस्कार करके पूर्व या उत्तर मुख होकर आसन ग्रहण कर हाथ में जल, गंध, पुष्प लेकर व्रत का संकल्प
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए लें-
‘मम अखिल पापप्रशमनपूर्वक
सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करिष्ये।’
इसके बाद लड्डू-गोपाल की
विधिवत पूजा करनी चाहिए। बाल गोपाल को झूले में झुलाना चाहिए। सायंकाल भगवान को
पुष्पांजलि समर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें-
‘धर्माय धर्मपतये
धर्मेश्वराय धर्मसम्भवाय श्री गोविन्दाय नमो नम:।’
इसके बाद चंद्रमा के उदय
होने पर दूध मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें-
‘ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं
नमस्ते ज्योतिषामपते:! नमस्ते रोहिणिकांतं अघ्र्यं मे प्रतिग्रह्यताम!’
रात्रि में कृष्ण जन्म से
पूर्व कृष्ण स्तोत्र, भजन, मंत्र- ‘ऊं क्रीं कृष्णाय नम:’ का जप आदि कर विधि-पूर्वक
आरती करें।
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