Omsanatan
Sunday, August 25, 2019
कबीर दास जी के दोहे
कबी
र थोड़ा जीवना, मांड़े बहुत मंड़ाण।कबीर थोड़ा जी
वना, मांड़े बहुत मंड़ाण॥
अर्थ:
बादल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने लगे. इससे मिट्टी तो भीग कर सजल हो गई किन्तु पत्थर वैसा का वैसा बना रहा.
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