Omsanatan
Friday, August 23, 2019
कबीर दास जी के दोहे
झिरमिर- झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह।
माटी गलि सैजल भई, पांहन बोही तेह॥
अर्थ:
बादल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने
लगे. इससे मिट्टी तो भीग कर सजल हो गई किन्तु पत्थर वैसा का वैसा बना रहा.
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