Omsanatan
Monday, September 23, 2019
कबीर दास जी के दोहे
मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह।
ए सब
ही अहला गया, जबहीं कह्या कुछ देह॥
अर्थ:
मान, महत्त्व, प्रेम रस, गौरव गुण तथा स्नेह
– सब बाढ़ में बह जाते हैं जब किसी मनुष्य से कुछ देने के लिए कहा जाता है.
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