Monday, June 3, 2019

वट सावित्री व्रत


यह व्रत ज्येष्ठ भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाता है। इस व्रत में सत्यवान सावित्री की कथा कही जाती है साथ ही सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार बरगद वृक्ष के नीचे बैठकर गौरा-पार्वती को साक्षी रखकर सुहागन स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन के चिरायु होने, पति के उत्तम स्वास्थ व आरोग्य की मंगल कामना करती है।
   सनातन धर्म में पौराणिक कथाओं के माध्यम से वृक्षों को आम जन-जीवन से व्रतों के साथ जोड़ दिया गया है, और व्रतों को महिलाओं से।
महिलाएं अपने परिवार पति व बच्चों से अगाध प्रेम होने के कारण न केवल परिवार, समाज वरन् प्रकृति के संरक्षण का दायित्व भी बखूबी निभाना जानती हैं।
 जितने गहरे और फैलाव में बरगद की जड़ें मजबूत होती जाती हैं ऐसे ही सबका दाम्पत्य जीवन रहे।
जय माता सावित्री

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