वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्व (गुं) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि।।
यजुर्वेद के इस शांति पाठ मंत्र के जरिये साधक
ईश्वर से शांति बनाये रखने की प्रार्थना करता है। विशेषकर हिंदू संप्रदाय के लोग
अपने किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्य, संस्कार, यज्ञ आदि के आरंभ और अंत में इस
शांति पाठ के मंत्रों का मंत्रोच्चारण करते हैं। वैसे तो इस मंत्र के जरिये कुल
मिलाकर जगत के समस्त जीवों, वनस्पतियों और प्रकृति में शांति बनी रहे इसकी
प्रार्थना की गई है। इसका शाब्दिक अर्थ लें तो उसके अनुसार इसमें यह गया है कि हे
परमात्मा स्वरुप शांति कीजिये, वायु में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी
पर शांति हों, जल में शांति हो, औषध में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व
में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सब में शांति हो,
चारों और शांति हो, हे परमपिता परमेश्वर शांति हो, शांति हो, शांति हो।
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