Omsanatan
Friday, May 17, 2019
तुलसीदास जी दोहे
को न
कुसंगति पाइ नसाई। रहइ न नीच मतें चतुराई।
खराब संगति से सब बर्बाद हो जाते हैं।
नीच लोगों के विचार के अनुसार चलने से चतुराई बुद्धि भी
भ्रष्ट हो जाती हैं।
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