Omsanatan
Wednesday, May 29, 2019
द्वविमौ
ग्रसते
भूमिः
सर्पो
बिल
शयानिवं।
राजानंचाविरोद्धारं ब्राह्मणंचाप्रवासिनम्॥
भावार्थ
:
जिस
प्रकार
बिल
में
रहने
वाले
मेढक
,
चूहे
आदि
जीवों
को
सर्प
खा
जाता
है
,
उसी
प्रकार
शत्रु
का
विरोध
न
करने
वा
ले
राजा
और
परदेस
गमन
से
डरने
वाले
ब्राह्मण
को
यह
स
मय
खा
जाता
है
।
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