तामस
तनु कछु साधन नाहीं। प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥
अब
मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥
मेरा तामसी
(राक्षस)शरीरहोनेसेसाधनतोकुछबनतानहींऔरनमनमेंश्रीरामचंद्रजी
के
चरणकमलों
में
प्रेम
ही
है,
परंतुहेहनुमान्!अबमुझेविश्वासहोगयाकिश्रीरामजीकीमुझपरकृपाहै,क्योंकिहरिकीकृपाकेबिनासंत
नहीं
मिलते
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