Omsanatan
Wednesday, May 8, 2019
सुन्दरकाण्ड दोहा
निज
पद
नयन
दि
एँ
मन
राम
पद
कमल
लीन।
परम
दुखी
भा
पवनसुत
देखि
जानकी
दीन
॥
भावार्थ
:-
श्री
जानकीजी
नेत्रों
को
अपने
चरणों
में
लगाए
हुए
हैं
(
नीचे
की
ओर
देख
रही
हैं
)
और
मन
श्री
रामजी
के
चरण
कमलों
में
लीन
है।
जानकीजी
को
दीन
(
दुःखी
)
देखकर
पवनपुत्र
हनुमान्
जी
बहुत
ही
दुःखी
हुए॥
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