Omsanatan
Tuesday, May 21, 2019
पोथी
पढ़ि
पढ़ि
जग
मुआ
,
पंडित
भया
न
कोय
,
ढाई
आखर
प्रेम
का
,
पढ़े
सो
पंडित
होय।
अर्थ
:
बड़ी
बड़ी
पुस्तकें
पढ़
कर
संसार
में
कितने
ही
लोग
मृत्यु
के
द्वार
पहुँच
गए
,
पर
सभी
विद्वान
न
हो
सके।
कबीर
मानते
हैं
कि
यदि
कोई
प्रेम
या
प्यार
के
केवल
ढाई
अक्षर
ही
अच्छी
त
रह
पढ़
ले
,
अर्थात
प्यार
का
वास्तविक
रूप
पहचान
ले
तो
वही
सच्चा
ज्ञा
नी
होगा।
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