Monday, March 11, 2019

लालच ना होता तो परमात्मा भी साथ देता

एक समय की बात है एक गांव में एक बहुत ही धनी सेठ रहता था, उसका बहुत बड़ा बंगला था। उसके बंगले के पास ही जूते सिलने वाले एक मोची की छोटी सी दुकान थी। उस मोची की आदत थी कि हर वक्त वह भगवान के भजन गुनगुनाता रहता था और अपने काम में लगा रहता। लेकिन कभी किसी ने भी उसके भजनों पर ध्यान नहीं दिया। एक दिन उस धनी सेठ को व्यापार के सिलसिले में विदेश जाना पड़ा। लेकिन जब वो वहां से वापस लौटा तो उसकी तबियत बहुत खराब हो गई।  

उस सेठ के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, तो उसके इलाज के लिए देश-विदेशों से कई डॉक्टर, वैद्य, हकीमों को बुलाया गया, लेकिन कोई भी डॉक्टर या वैद्य उसका इलाज नहीं कर सका। सही इलाज न मिलने के कारण सेठ की तबियत दिन-प्रतिदिन खराब होने लगी। एक दिन वो सेठ अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था तो अचानक ही उसके कानों में उस मोची के भजन गाने की आवाज सुनाई दी। उस सेठ को मोची के भजन अच्छे लग रहे थे, मोची के मुंख से भजन सुनते-सुनते वह सेठ इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि उसे ऐसा लगा कि वो साक्षात परमात्मा से मिलन कर रहा हो। 



कुछ दिनों तक यहीं सिलसिला चलता रहा, सेठ मंत्रमुग्ध होकर उस मोची के मुंख से भजन सुनता और परमात्मा में लीन हो जाता। भजन सुनते-सुनते उसे अपनी बीमारी का पता ही नहीं चलता। अब धीरे-धीरे सेठ के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा। एक दिन सेठ ने उस मोची को बुलाया और कहा कि मेरे इलाज के लिए देशों-विदेशों से बड़े-बड़े डॉक्टरों को बुलाया गया लेकिन कोई भी डॉक्टर मुझे ठीक नहीं कर पाया। पर तुम्हारे भजन ने मेरा स्वास्थ्य सुधार दिया, ये लो मैं तुम्हें इनाम देता हूँ 1000 रुपये लो, मोची खुश होते हुए पैसे लेकर चला गया। 

इनाम लेने के बाद मोची को उस रात नींद नहीं आई वो सारी रात यही सोचता रहा कि वो इतने सारे पैसे कहां छुपाए, इनसे क्या-क्या सामान खरीदे? इस सोच से वह मोची इतना परेशान हो गया कि वह अगले दिन काम पर नहीं गया। पैसों के बाद मोची के हालात इतने बदल गए कि वो सिर्फ पैसों के बारे में सोचता रहा, उसे सिर्फ पैसों की ही खुशी थी, भजन गाना तो वो जैसे भूल ही गया था। उस दिन के बाद से उसने काम पर ही जाना बंद कर दिया और धीरे-धीरे उसकी दुकानदारी भी चौपट हो गई। 

वहीं, दूसरी तरफ सेठ की बीमारी फिर से बढ़ती जा रही थी। एक दिन अचानक बैठे-बैठे कुछ सोच रहा था, तभी उसे अहसास हुआ कि वह परमात्मा से दूर होता जा रहा है। वह तुरंत ही सेठ के पास गया और बोला कि सेठ जी आप मुझसे अपने पैसे वापस ले लीजिये, इन पैसों की वजह से मेरा धंधा चौपट हो गया और मैं भजन भी गाना भूल गया। इस धन की वजह से मेरा परमात्मा से नाता ही टूट गया। उस दिन सेठ के पैसे वापस करके मोची अपने काम में दोबारा लग गया और अपने काम के साथ दोबारा से भगवान के भजन में लग गया।  




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