Friday, March 22, 2019

माँ वैभव लक्ष्मी

1-यह व्रत स्त्री एवं कुमारिका भी यह व्रत कर सकती है।
2-स्त्री के बदले पुरुष भी यह व्रत करें तो उसे भी उत्तम फल अवश्य मिलता है।
3- यह व्रत पूरी श्रद्धा और पवित्र भाव से करना चाहिये। खिन्न होकर या बिना भाव से यह व्रत नहीं करना चाहिए।
4-कुछ लोग 11 या 21 बार की मन्नत करके व्रत करते हैं।
5-एक बार व्रत पूरा करने के पश्चात फिर मन्नत कर सकते हैं और फिर से व्रत कर सकते हैं।
6-माता लक्ष्मी देवी के अनेक रूप हैं। उनमें उनका धनलक्ष्मी स्वरूप ही वैभवलक्ष्मी है और माता लक्ष्मी का श्रीयंत्र अति प्रिय है। व्रत करते समय लक्ष्मी जी के हर स्वरूप को और श्रीयंत्र को प्रणाम करना चाहिये, तभी व्रत का फल मिलता है। अगर हम इतनी भी मेहनत नहीं कर सकते हैं तो लक्ष्मीदेवी भी हमारे लिये कुछ करने को तैयार नहीं होगी और हम पर माँ की कृपा नहीं होगी।
7-व्रत के दिन सुबह से ही `जय मां लक्ष्मी` का  जाप  मन ही मन करना चाहिये और मां का पूरा भाव से स्मरण करना चाहिये।
8-घर में सोना न हो तो चांदी की चीज पूजन में रखनी चाहिये।
9-व्रत पूरा होने पर कम से कम सात स्त्रियों को या आपकी इच्छा अनुसार जैसे 11, 21, 51, 101 स्त्रियों को वैभवलक्ष्मी व्रत की पुस्तक कुमकुम का तिलक करके भेंट के रूप में देनी चाहिए।
10-शुक्रवार को व्रत करके शाम को एक समय भोजन ले सकते हैं।

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