Thursday, March 7, 2019

लालबहादुर शास्त्री जी की महानता

हमारे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी सादगी व महानता की प्रतिमूर्ति थे। शास्त्री जी अपने जीवन में खुद कष्ट उठाकर दूसरों को खुशी देते थे। लालबहादुर शास्त्री जी के जीवन से जुड़े कई ऐसे प्रेरक प्रसंग है जो हमारे जीवन के लिए बहुत प्रेरणादायक है। आज हम आपको लालबहादुर जी के जीवन से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बता रहे हैं, जो हमारे लिए किसी प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं है। यह किस्सा उस समय का है जब शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री थे, एक दिन वह कपड़े की मिल देखने के लिए गए। उस समय उनके साथ मिलका मालिक, उच्च अधिकारी व अन्य विशिष्ट लोग मौजूद थे।

मिल में घूमते समय शास्त्री जी मिल के गोदाम में पहुंचे तो मिल के मालिक ने उन्हें साड़ियां दिखाने को कहा। उन लोगों ने शास्त्री के सामने खूबसूरत साड़िया फैला दी और उनमें से साड़ी पसंद करने को कहा। साड़ियों को देखकर शास्त्री जी ने कहा कि यह साड़िया तो बहुत सुंदर हैं, इनका क्या मूल्य है? तब मिल के मालिक ने साड़ियों के दाम बताते हुए कहा कि सर, यह साड़िया 800 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक की हैं। साड़ियों के दाम सुनकर शास्त्री जी ने कहा कि यह साड़ियां तो बहुत महंगी हैं, मुझे कम मूल्य की साड़ियां दिखाइए।



तब मिल के मालिक ने शास्त्री जी को 400 से 500 तक की साड़ियां दिखाई। लेकिन शास्त्री जी ने उन साड़ियों को भी महंगी बता कर मना कर दिया। उन्होंने बोला कि मुझ जैसे गरीब के लिए कोई सस्ती साड़ी दिखाइए, जिसे मैं खरीद सकूं। शास्त्री जी की यह बात सुनकर मिल का मालिक बोला, आप तो हमारे प्रधानमंत्री हैं आप गरीब कैसे हो सकते हो? हम आपको यह साड़िय भेंट कर रहे हैं। भेंट की बात सुनकर शास्त्री जी ने कहा कि नहीं भाई, मैं भेंट नहीं ले सकता। मिल के मालिक ने बोला कि क्यों साहब? हमें क्या यह अधिकार नहीं है कि हम अपने प्रधानमंत्री को भेंट दें।

शास्त्री जी ने कहा कि हां, मैं प्रधानमंत्री हूं, पर इसका अर्थ यह तो नहीं कि जो चीजें मैं खरीद नहीं सकता, वह भेंट में लेकर अपनी पत्नी को दे दूं। मैं प्रधानमंत्री हूं पर हूं तो गरीब। बस आप मुझे सस्ते दाम की साड़िया दिखाएं, जिसे मैं खरीद सकूं। देश के प्रधानमंत्री का यह बर्ताब देखकर मिल का मालिक उनसे बहुत प्रभावित हुआ। तो ऐसे महान थे हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी। प्रधानमंत्री होते हुए भी कभी भी उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल नहीं किया और हमेशा दूसरों की सहायता के लिए आगे रहे।

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