Sunday, March 10, 2019

रविवार को जरूर करें सूर्य देव का व्रत, बढ़ेगा मान-सम्मान

सप्‍ताह के प्रत्‍येक दिन किसी ना किसी विशिष्‍ट देव या देवी की पूजा होती है और उपवास रखे जाते है। सप्ताह के सातों दिन जैसे- सोमवार को शिव जी का, मंगलवार को हनुमान जी का, बुधवार को गणेश जी का, वीरवार को विष्णु जी का, शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी/संतोषी माता, शनिवार को शनिदेव का और रविवार को सूर्यदेव को पूजा जाता है। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है। रविवार का व्रत करने से मान-सम्मान बढ़ता है, शत्रुओं का नाश होता है और समस्त पीड़ाएं दूर होती हैं। बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक बुढि़या मां रहती थी। वह प्रत्येक रविवार को सुबह उठकर स्नान आदि कर गोबर से घर लीपती और भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य भगवान को भोग लगाती, फिर खुद भोजन करती थी। उसकी इस आराधना से सूर्यदेव काफी प्रसन्न थे और उनकी कृपा से अम्मा का घर हर प्रकार के धन-धान्य से परिपूर्ण और कष्टों से दूर था।

अम्मा हमेशा घर लीपने के लिए गोबर अपनी पड़ोसन के घर से लाती थी, लेकिन उनकी पड़ोसन अम्मा के सुख-सौभाग्य से काफी अप्रसन्न थी। अम्मा के ऐश्वर्य को देखकर उनकी पड़ोसन ने सोचा कि ये बुढ़िया हमेशा मेरी यहां से गाय को गोबर ले जाती है अगर इसे गोबर ना मिले तो। इसलिये उसने अपनी गाय को घर के अंदर ही बांधना ही शुरु कर दिया, जिसकी वजह से अम्मा को घर लीपने के लिए गोबर नहीं मिला। जिसकी वजह से अम्मा ने रविवार को ना तो भोजन बनाया, ना भोग लगाया और ना ही खुद ग्रहण किया। नियम टूटने से दुखी अम्मा रात्रि में भी बिना कुछ खाए-पिए ही सो गई। उधर, भगवान सूर्य भी उसके भोग की प्रतीक्षा कर रहे थे। जब भोग ना लगा, तो वे स्वप्न में आकर अम्मा से कारण पूछने लगे। अम्मा ने सूर्य देव को सारी बात बताई और नियम टूटने की बात कह क्षमा मांगी। इस पर सूर्यदेव ने उसे सर्वइच्छा पूर्ण करने वाली एक गाय देने का वरदान दिया। अगले दिन जब अम्मा सुबह उठी तो अपने आंगन में एक बहुत ही प्यारी सी गाय को खड़ा पाया।



अम्मा ने उस गाय को अपने आंगन में बांध दिया और काम में लग गई। उसने यह ना देखा कि गाय ने सोने का गोबर किया है। वहीं, यह सब देखकर अम्मा की पड़ोसन जल-भुन गई और हर समय उन पर ही नजर रखने लगी, उसे पता चला गया था कि अम्मा की गाय सोने का गोबर देती है। वह रोज अम्मा से पहले उठ जाती और सोने का गोबर उठाकर उसकी जगह पर अपनी गाय का गोबर रख जाती। अम्मा उस गोबर को घर में रख लेती थी। जब सूर्य देव ने अम्मा की पड़ोसन की करतूत देखी तो बहुत क्रोधित हुए और एक दिन उन्होंने उस गांव में तेज आंधी चला दी। इससे अम्मा ने गाय आंगन से हटाकर अपने घर के अंदर बांध ली। जब अगली सुबह अम्मा ने देखा कि उनकी गाय के सोने का गोबर दिया है तो वह रोज अपनी गाय को घर के अंदर ही बांधने लगी। अम्मा के पास दोबारा ऐश्वर्य आने लगा, जिसे देखकर उनकी पड़ोसन बर्दाशत नहीं कर सकी और राजा के पास पहुंच गई अम्मा की शिकायत लेकर।

राजा के पास पहुंचकर वह बोली कि मेरी पड़ोसन बुढि़या के पास सोने का गोबर देने वाली गाय है। आप उसे ले लीजिए और प्रजा के हित में उस धन का उपयोग कीजिए। उसकी बात सुनकर राजा ने तत्काल अम्मा के घर पर सैनिक भेज दिये और गाय को मंगवा लिया। दूसरे दिन जब राजा सोकर उठा तो उसने सारा महल गोबर से भरा पाया, जो साफ करने पर और बढ़ता जाता था। महल में दुर्गंध के कारण सबका रहना मुश्किल हो गया था। रात में भगवान सूर्य ने राजा के सपने में आकर सारी बात कही और अम्मा को वरदान वाली गाय लौटाने को कहा। राजा ने तुरंत अम्मा को बुलाकर बहुत से धन के साथ गाय लौटा दी और पड़ोसन को दंड दिया। ऐसा करते ही महल से सब गोबर साफ हो गया। इसके बाद से राजा-रानी समेत पूरा राज्य ही रविवार का व्रत करने लगा और भगवान सूर्य की कृपा से सभी ने सब प्रकार के सुख को प्राप्त किया।


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