Thursday, March 14, 2019

पीपल की पूजा करने से दूर होते हैं सभी पाप

हमारे हिंदू धर्म में वृक्षों की पूजा का खास महत्व है और इसमें पीपल का स्थान सबसे ऊपर है। पीपल को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, 'अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम्', मतलब 'समस्त वृक्षों में मैं पीपल हूं'। ऐसा कहकर उन्होंने इस वृक्ष की महिमा स्वयं ही कह दी है। माना जाता है कि इस वृक्ष के पास दिव्य चेतना होती है। पुराणों के अनुसार, पीपल की जड़ में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फल में सभी देवताओं से युक्त अच्युत सदा निवास करते हैं, इसे साक्षात् विष्णु स्वरूप बताया गया है। 

आधुनिक वैज्ञानिकों ने इसे एक अनूठा वृक्ष भी कहा है जो दिन रात यानि 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है, जो मनुष्य जीवन के लिए बहुत जरूरी है। शायद इसलिए इस वृक्ष को देव वृक्ष का दर्जा दिया जाता है। मान्यता है कि जो पीपल को पानी देता है, वह सभी पापों से छूटकर स्वर्ग प्राप्त करता है। पीपल में पितरों का वास भी बताया गया है। पीपल का एक पेड़ लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार को कोई दुख या धन का अभाव नहीं सताता है। बताया जाता है कि इस वृक्ष के स्वरूप में सत्वगुण की प्रधानता है। 



दूसरे वृक्षों के फल किसी न किसी तरह का खट्टा-मीठा स्वाद लिए रहते हैं, लेकिन पीपल के फल और पत्ते स्वादहीन होते हैं और औषधीय गुणों से भरपूर भी। पीपल वृक्ष के फल, पत्ते, लकड़ी और छाल आदि को कूटपीट या पीस कर जो दवाएं बनाई जाती हैं, वे उनसे किए गए यज्ञ, अग्निहोत्र आदि कर्मों की तुलना में ज्यादा उपयोगी होती हैं। शाक्त, शैव और वैष्णव प्रकार के यज्ञों में समिधा और आहुति के लिए जितनी औषधियों का उपयोग किया जाता है, उनमें पीपल का वर्चस्व ही ज्यादा है। 

अगर किसी व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चली रही हो तो उससे बचने के लिए हर शनिवार पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए और शाम के समय पेड़ के नीचे दीपक जलाना भी लाभकारी सिद्ध होता है। पीपल की निरंतर पूजा अर्चना और परिक्रमा करके जल चढ़ाते रहने से संतान की प्राप्ति होती है, पुण्य मिलता है और अदृश्य आत्माएँ तृप्त होकर सहायक बन जाती है। यदि किसी की कोई कामना है तो उसकी पूर्ति के लिए पीपल के तने के चारों ओर कच्चा सूत लपेटने की भी परंपरा है। पीपल की जड़ में शनिवार को जल चढ़ाने व दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।

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