Thursday, March 14, 2019

जानिए श्रीहरि ने क्यों लिया था नरसिंह अवतार?

जब-जब दुनिया में पाप का घडा भरा, तब-तब भगवान ने अवतार लिया। भगवान विष्णु ने सतयुग से लेकर द्वापर युग तक धरती पर पाप का अंत करने के लिए कई अवतार धारण किये थे, उन्हीं अवतारों में से एक अवतार था नरसिंह भगवान का अवतार। लेकिन क्या आपको पता है भगवान विष्णु ने क्यों लिया था नरसिंह अवतार। राक्षसों का राजा था हिरण्यकश्यप, उसको ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था कि वो न दिन में मारा जाए न रात में, न अस्त्र से न शस्त्र से, न जमीन पर न आसमान में, न तो इंसान मार सके न तो जानवर उसे मार सके। 

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से बहुत घृणा करता था उसको श्रीहरि का नाम सुनना भी पसंद नहीं था। उसके राज्य में जो भी कोई श्रीहरि की पूजा करता या फिर उनका नाम भी लेता वह उसको मौत की सजा सुना देता। हिरण्यकश्यप की एक बहन भी थी होलिका, उसे ब्रह्माजी ने वरदान दिया था कि वो आग में कभी नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यप का पुत्र भी था, जिसका नाम प्रहलाद था। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। राक्षसराज हिरण्यकश्यप प्रहलाद की हरि भक्ति से परेशान था। वह उसे रोज प्रताड़ित करता। 



उसने पहले तो प्रहलाद को डराया धमकाया लेकिन जब भक्त प्रहलाद पर इन बातों का असर नहीं हुआ तो वह प्रहलाद को जान से मारने का प्रयत्न करने लगा। लेकिन भगवान की लीला के सामने वह हर बार असफल हो जाता। एक दिन हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को लेकर आग की चिता पर बैठ गई लेकिन श्रीहरि की कृपा से होलिका जलकर मर गई और प्रहलाद बच गया। यह सब देखकर हिरण्यकश्यप गुस्से से आग बबूला हो गया और भगवान को ललकारते हुए प्रहलाद से पूछा कि कहां है तेरा प्रभु? तब प्रहलाद ने कहा कि भगवान तो सर्वज्ञ हैं। 

यह सुनकर हिरण्यकश्यप और क्रोधित हो गया और क्रोध में उसने कहा क्या इस खंभें में भी तेरा प्रभु है, इस पर प्रहलाद ने कहा कि वो तो हर जगह व्याप्त हैं, इस खंभें में, इन दीवारों में, आपमें-मुझमें, इन सब में, हर जगह श्रीहरि व्याप्त हैं। यह सुनकर हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और खंभें पर प्रहार कर दिया, देखते-देखते खंभें से नरसिंह भगवान प्रकट हो गए। नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप को अपनी जांघों पर रखकर अपने तेज नाखूनों से उसका पेट फाड़ दिया और उसका वध कर दिया। इस तरह से भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार लिया।




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