Monday, March 11, 2019

जानिए कैसे हुई महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति?

हिंदू पौराणिक कथाओं में महामृत्युंजय मंत्र को सबसे महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है। भगवान शिव के इस मंत्र से अकाल मृत्यु भी टलती है। लेकिन क्या आपको पता है इस मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के भक्त मृकण्डु ऋषि संतानहीन थे। विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था, जिस कारण वह बहुत दुखी रहते थे। एक दिन ऋषि मृकण्डु और उनकी पत्नी मरुद्मति ने पुत्र की प्राप्ति के लिए तपस्या करने का फैसला किया। 

मृकण्डु ने घोर तपस्या की, उनकी तपस्या से खुश होकर महादेव ने उन्हें दर्शन दिये। उन्होंने मृकण्डु को दो विकल्प दिए, 1. कम जीवन के साथ एक बुद्धिमान बेटा, या 2. कम बुद्धि लेकिन लंबा जीवन वाला एक बेटा। मृकण्डु ने पहले विकल्प का चयन किया और उन्हें मार्कंडेय नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका जीवन काल मात्र 16 वर्ष था।जब मार्कंडेय का जीवनकाल पूरा होने वाला था तब उसके माता पिता को चिंता होने लगी। 



जब मार्कंडेय को अपने भाग्य के बारे में पता चला, तो उसने शिवलिंग के सामने तपस्या करनी शुरू की। उनका जीवनकाल पूर्ण होने पर जब यमदूत उन्हें लेने के लिए आये तो उसे ले जाने के बजाय वे भी इस तपस्या में शामिल हो गए। भगवान यम ने खुद उसे ले जाने का निर्णय लिया। मार्कंडेय ने अपनी बाहों को शिवलिंग के चारों ओर लपेटकर भगवान शिव से दया की मांग की। 

यम ने उसको उस शिवलिंग से दूर करने की कोशिश की लेकिन खुद ही शिवलिंग पर गिर गये। इस से भगवान शिव क्रोधित हो गए और शिवलिंग से प्रकट होकर सजा के तौर पर यम को मार दिया। यम की मृत्यु ने ब्रह्मांड में गंभीर अवरोध उत्पन्न कर दिए, इसलिए भगवान शिव ने उसे इस शर्त पर पुनर्जीवित किया, कि बच्चा हमेशा के लिए जीवित रहेगा। यहीं से इस मंत्र की उत्पति हुई। यही कारण है कि भगवान शिव को कालांतक कहा जाता है। इस मंत्र को केवल ऋषि मार्कंडेय को ज्ञात गुप्त मंत्र माना जाता है।

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