Tuesday, March 12, 2019

अद्भुत है सालासर बालाजी हनुमान मंदिर

आज मंगलवार है और आज के दिन मंदिर में संकटमोचन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से सभी कष्टों का नाश होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। आज हम आपको हनुमान जी के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो अपने चमत्कारों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह सालासर हनुमान मंदिर जयपुर बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। सालासर धाम हनुमान भक्तों के बीच सिद्धपीठ शक्ति स्थल के रूप में जाना जाता है। सालासर कस्बा, राजस्थान में चुरू जिले का एक हिस्सा है और यह जयपुर-बीकानेर राजमार्ग एनएच 11 पर स्थित है। 

सभी बालाजी मंदिरों में से सालासर बालाजी मंदिर बहुत अलग है क्योंकि भारतवर्ष के समस्त बालाजी के मंदिरों में सालासर बालाजी के अलावा किसी ओर मंदिर में बालाजी की दाढ़ी-मूंछ नहीं हैं। लेकिन इसके पीछे भी एक कहानी है, दरअसल, राजस्थान के नागपुर जिले में असोटा गांव में एक दिन एक जाट किसान को अपना खेत जोतते समय उसके हल से एक चीट टकराई। जिसके बाद उसने उस जगह की मिट्टी को खोदना शुरु किया तो उसको मिट्टी से सनी हुई दो मूर्तियां मिली। 



उन मूर्तियों को लेकर वो अपने घर गया और अपनी पत्नी को वो मूर्तियां दिखाई। उन दोनों ने मूर्तियों को साफ किया तो उन्हें साक्षात् हनुमान जी के दर्शन हुए। वे दोनों मुर्तियों के सामने नत्मस्तक हुए और श्रद्धापूर्वक पूजा की। धरती से हनुमान जी की मूर्ति मिलने की खबर परे गांव में आग की तरह फैल गई। एक दिन उस किसान को सपने में बालाजी ने आदेश दिए कि इन मूर्तियों को चूरू जिले में सालासर भेज दिया जाए और उसी रात हनुमान जी ने अपने एक भक्त मोहन दासजी महाराज को सपने दिया कि आसोटा से एक किसान मूर्ति लेकर यहां आयेगा और उस मूर्ति से तुम्हें सालासर में मेरा एक मंदिर बनाना है। 

बालाजी के आदेश पाकर भक्त मोहन दासजी ने बालाजी का एक भव्य मंदिर का निर्माण किया। भक्त मोहन दासजी ने एक मूर्ति की स्थापना इस मंदिर में की और दूसरी मूर्ति की स्थापना इस स्थान से 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम (भरतगढ़) में की। बालाजी के बारे में एक बड़ी रोचक बात यह है क‌ि मंद‌िर का न‌िर्माण करने वाले मुसलमान कारीगर थे। इनमें नूर मोहम्मद और दाऊ का नाम शाम‌िल है। बालाजी की धुणी को भी चमत्कारी माना जाता है। कहते हैं बाबा मोहनदास जी ने 300 साल पहले इस धुनी को जलाई थी जो आज भी अखंड‌ित प्रज्जवल‌ित है।



No comments:

Post a Comment