Omsanatan
Tuesday, March 26, 2019
सुंदरकांड अर्थ सहित
सुंदरकांड अर्थ सहित
राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आसिष देइ गई सो हरषि चलेउ हनुमान॥2॥
भावार्थ: तुम श्री रामचंद्रजी का सब कार्य करोगे, क्योंकि तुम बल-बुद्धि के भंडार हो। यह आशीर्वाद देकर वह चली गई, तब हनुमान् जी हर्षित होकर चले
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