Sunday, March 10, 2019

जानिए, महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ एवं जप के फायदे

हमारे हिंदू पुराणों में महामृत्युंजय मंत्र सबसे महत्वपूर्ण मंत्र में से एक है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक मिलता है। इस मन्त्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है। इस मंत्र के जप से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती हैं। यह मंत्र जीवन देने वाला है। इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है। महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव से हर तरह का डर और परेशानी खत्म हो जाती है। साथ ही इस मंत्र को बीमारी या अचानक मौत के डर को दूर करने के लिए प्रभावी माना जाता है। यह गायत्री मन्त्र के समकक्ष हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है।



महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ -

त्रयंबकम - त्रि.नेत्रों वाला, कर्मकारक।
यजामहे - हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय।
सुगंधिम - मीठी महक वाला, सुगंधित।
पुष्टि - एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति, जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम - वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है।
उर्वारुक - ककड़ी।
इवत्र - जैसे, इस तरह।
बंधनात्र - वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
मृत्यु - मृत्यु से
मुक्षिया - हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
मा - न
अमृतात् - अमरता, मोक्ष

मंत्र का सरल अनुवाद -

हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग ("मुक्त") हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हों।



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