Wednesday, March 13, 2019

जब गणेश जी अपना दांत तोड़कर बना ली कलम

भगवान गणेश जी से जुड़ी हुई कई सारी कथाएं प्रचलित हैं। ये तो हम सभी जानते हैं कि भगवान गणेश को एकदंत भी कहा जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्यों कहा जाता है एकदंत। यह बात उस समय की है जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिख रहे थे, उस समय उन्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकली हुई पूरी महाभारत की कहानी को लिख सके। इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी का चुनाव किया। इसके लिए उन्होंने गणेश जी से बात की, लेकिन गणेश जी महर्षि की बात तो मान गए लेकिन उनकी एक शर्त थी कि पूरी महाभारत लेखन को एक पल के लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा, अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।  



महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी की इस शर्त को मान लिया। लेकिन वेदव्यास ने गणेश जी के सामने भी एक शर्त रखी और कहा कि आप जो भी लिखेंगे उसे सोच-समझ कर ही लिखेंगे। गणेश जी भी उनकी शर्त मान गए। दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए। वेदव्यास जी महाकाव्य को अपने मुहँ से बोलने लगे और गणेश जी समझ-समझ कर जल्दी-जल्दी लिखने लगे। कुछ देर लिखने के बाद कलम महर्षि के बोलने की तेजी को संभाल ना सकी और अचानक से टूट गई। 

गणेश जी समझ गए की महर्षि वेदव्यास जी को थोड़ा सा गर्व हो गया है और उन्होंने महर्षि के शक्ति और ज्ञान को ना समझा। उसके बाद गणेश जी धीरे से अपने एक दांत को तोड़ा और स्याही में डूबो कर दोबारा महाभारत की कथा लिखने लगे। जब भी वेदव्यास को थकान महसूस होती वह एक मुश्किल सा छंद बोलते जिसको समझने और लिखने के लिए गणेश जी को ज्यादा समय लग जाता और महर्षि को आराम करने का समय भी मिल जाता। महर्षि वेदव्यास जी और गणेश जी को महाभारत लिखने में 3 वर्ष लग गए।



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