Sunday, February 10, 2019

बसंती पंचमी के दिन जरूर करें मां सरस्वती की पूजा

हमारे हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का त्याहौरा बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। मां सरस्वती विद्या और बुद्धि की देवी हैं, इस दिन मां सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है। बसंत पंचमी के दिन ही छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान, हाथ में कलम थमा कर उनकी शिक्षा की शुरुआत करायी जाती है। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का खास महत्व है और इस दिन से ही बसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है। बसंत ऋतु में सरसों की फसल की वजह से धरती पीली नजर आती है। इसे ध्यान में रखकर इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनकर बसंत पंचमी का स्वागत करते हैं। 
इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जो यह संदेश देता है कि हमें सूर्य की तरह गंभीर और प्रखर बनना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन सिर्फ कपड़े ही नहीं बल्कि खाने में भी पीले रंग की चीजें बनायी जाती हैं। पूरे वर्ष को 6 ऋतूओ में बाँटा जाता है, जिसमें वसंत ऋतू, ग्रीष्म ऋतू, वर्षा ऋतू, शरद ऋतू, हेमंत ऋतू और शिशिर ऋतू शामिल है। इस सभी ऋतूओं में से वसंत को सभी ऋतूओ का राजा माना जाता है, इसी कारण इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है तथा इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक कथा बहुत प्रचलित है। कथा के अनुसार, सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की। 



जब उन्होंने सृष्टि की रचना करने के बाद संसार को देखा तो उन्हें चारों तरफ सुनासान निर्जन ही दिखाई दिया, जैसे किसी की कोई वाणी ना हो। संसार को सुनसान निर्जन देखने के बाद भी ब्रह्मा जी मायूस और संतुष्ट नहीं थे। तब ब्रह्मा जी भगवान् विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिडक दिया। कमंडल से धरती पर गिरने वाले जल से पृथ्वी पर कंपन होने लगता है और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी (चार भुजाओं वाली) सुंदर स्त्री प्रकट हो गई। उस देवी के एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा, बाकी अन्य हाथ में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध किया। देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओ को वाणी प्राप्त हो गई। जो छात्र पढ़ाई लिखाई में कमजोर हैं अगर बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करें तो उन पर विशेष कृपा होती है। बसंत पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करना अनिवार्य है। इस दौरान सरस्वती स्तोत्रम का पाठ किया जाता है।

वाक सिद्धि प्राप्ति हेतु, इस का जप करें-
"ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नमः।।"

आत्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जप करें - 
"ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्।।"

विद्या प्राप्ति के लिए 
"ऊँ ऐं हृीं क्लीं महा सरस्वत्यै नमः।" या
"ऊँ सरस्वत्यै नमः।।"

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