Sunday, February 17, 2019

जो शेर माता को खाने आया था, वही बन गया मां का वाहन

शक्ति का रूप मां दुर्गा, जिन्हें सारा जगत मानता और पूजता है। साधारण मनुष्य ही नहीं सभी देव भी मां दुर्गा की अनुकम्पा से प्रभावित रहते हैं। मां दुर्गा को शेरावाली माता भी कहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि शेर मां का कैसे बना था वाहन। दरअसल, इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। ये तो आप सभी को पता है कि देवी पार्वती बचपन से ही शिव भक्त थी और शिव को अपना पति भी मानती थी। शिव जी पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने घोर तप किया था, जिसके बाद उनका विवाह शिव जी से हुआ था। लेकिन माता पार्वती के कठोर तप के कारण उनका रंग हल्का काला पड़ गया था। एक समय भगवान शिव और माता पार्वती दोनों ही कैलाश पर बैठे थे। महादेव माता पार्वती से मजाक कर रहे थे। 



मजाक में ही शिवजी ने माता को काली कह दिया। ये बात माता को बुरी लगी और वह कैलाश छोड़कर कठोर तपस्या के लिए एक वन में चली गई। इस बीच एक भूखा शेर मां पार्वती को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा, ले‌किन माता को तप में मग्न देख उसी जगह पर बैठ गया। मां ने हठ कर ली थी कि जब तक वह गौरी नहीं हो जाएगी तब तक वह यहीं तपस्या करेगी। तब शिवजी प्रसन्न होकर वहां प्रकट हुए और माता को गोरे होने का वरदान दिया। शिव जी के निर्देश से पार्वती माता ने गंगा में स्नान किया और माता का रंग गौरा हो गया। इस गोरे रंग के कारण ही माता पार्वती को गौरी नाम से भी जाना जाता है। माता पार्वती को जब यह पता चला कि वह शेर उनके साथ ही तपस्या में यहां सालों से बैठा रहा है तो माता ने प्रसंन्न होकर उसे वरदान स्वरूप अपना वाहन बना लिया। तब से मां पार्वती का वाहन बाघ हो गया।

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