Tuesday, February 12, 2019

क्या आपको पता है मां का नाम कैसे पड़ा था चामुण्डा देवी

जिस-जिस जगह पर माता सती के शरीर के अंग गिरे थे उन जगहों पर शक्तिपीठ की स्थापना की गई। माता के इन शक्तिपीठों का अलग ही महत्व है। ये सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुए हैं और चामुण्डा देवी मंदिर उन्हीं मंदिरों में एक है। जिस जगह पर माता सती के चरण गिरे थे। लेकिन मां का चामुण्डा देवी पड़ने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। दुर्गा सप्तशती में माँ के नाम की उत्पत्ति की कहानी का वर्णन किया गया है। कथा के अनुसार, प्राचीन समय में धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नाम के दो दैत्यों का राज था। इन दोनों राक्षसों ने स्वर्ग लोक और देव लोक को पराजित कर उनपर अपना अधिकार जमा लिया था तथा धरती पर भी अपना कहर बरपाने लगे। दोनों राक्षसों के डर से सारे देवता इधर-उधर भटकने लगे। 

इस समस्या के निवारण हेतु सभी देवती भगवान शिव की शरण में गए और उनसे राक्षसों से रक्षा की विनती करने लगे। तब भगवान शंकर ने उन्हें देवी दुर्गा मां की अराधना कर प्रसन्न करने की युक्ति सुझाई। भगवान शिव के सुझाव के बाद देवता और मनुष्य दोनों ने ही देवी दुर्गा मां की अराधना कर उन्हें प्रसन्न किया। दुर्गा मां ने उन सभी को वरदान दिया कि वह अवश्य ही उन दोनों दैत्यों से उनकी रक्षा करेंगी। इसके बाद देवी दूर्गा ने अम्बिका नाम से अवतार ग्रहण किया, इसके बाद माँ अम्बिका को चण्ड और मुण्ड असुरों ने देख लिया और अपने राजा शुम्भ और निशुम्भ को माँ अम्बिका के बारे में बताया। 



चण्ड और मुण्ड ने अपने राजा से कहा कि आप तीनों लोकों के राजा हो यहाँ पर हर एक प्रकार की चींजे और सभी अमूल्य रत्‍न सुशोभित है। यहा तक के इंद्र का ऐरावत हाथी भी आपके पास है। इस कारण आपके पास ऐसी सुंदर और आकर्षक नारी भी होनी चाहिए जो तीनों लोकों में सबसे अधिक सुंदर हो। अपने दूतों द्वारा मां अम्बिका के रूप की व्याखना सुनकर शुम्भ और निशुम्भ ने इस सुंदर स्त्री को अपनी रानी बनाने का मन बना लिया और अपना एक दूत के हाथ संदेशा भेजा कि उस स्त्री से जाकर कहना कि शुम्भ और निशुम्भ तीनों लोकों के राजा है, बडे बलशाली और पराक्रमी है और वो तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहते है। 

दूत ने जाकर शुम्भ और निशुम्भ का प्रस्ताव जाकर मां अम्बिका को सुनाया। शुम्भ और निशुम्भ का प्रस्ताव सुनकर देवी माँ ने कहा कि मैं मानती हूँ कि शुम्भ और निशुम्भ दोनों ही बहुत बलशाली हैं लेकिन मैं एक प्रण ले चूंकि हूं कि जो व्यक्ति मुझे युद्ध में हरा देगा मैं उसी से विवाह करुंगी। देवी माँ द्वारा कही गई बात दूत ने शुम्भ और निशुम्भ को बताई, जिसका परिणाम ये हुआ कि इन दोनों असुरों को गुस्सा आ गया और कहा कि उस नारी का ये दुस्साहस जो हमें युद्ध के लिए ललकारे। इसके बाद शुम्भ और निशुम्भ ने चण्ड और मुण्ड नाम के दो असुरों को देवी माँ के पास भेजा और कहा कि उस नारी को बालों से खींचकर हमारे पास लेकर आओ। जब दोनों असुर देवी मां को बंधक बनाने के लिए वहां पहुंचे तो मां ने काली रूप धारण कर लिया और दोनों का सिर धड़ से अलग कर दिया। इन दोनो राक्षसों के वध के कारण ही माता का नाम चामुंडा पड गया।

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