Wednesday, February 27, 2019

बहुत ही अद्भुत है कोणार्क का सूर्य मंदिर का रहस्य

भारत के ओडिशा राज्य के कोणार्क में एक ऐसा सूर्य मंदिर है जो अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपने अंदर कई रहस्य भी समाएं हुए है। यह मंदिर बहुत बड़े रथ के आकार में बना हुआ है, इसमें कीमती धातुओं के पहिये, पिल्लर और दीवारे बनी है। इस मंदिर के पहिये धूपघड़ी का काम करते जिसकी सहायता से हम दिन-रात दोनों ही समय सही समय का पता लगा सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को पूर्वी गंगा साम्राज्य के महाराजा नरसिंहदेव ने 1253 से 1260 ई. में बनवाया था और वहां पर 1282 तक शासन भी किया था।



आज यह मंदिर UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल है और साथ ही यह मंदिर भारत के 7 आश्चर्यों में भी शामिल है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित था, जिन्हें स्थानीय लोग बिरंचि-नारायण कहते थे। पुराणानुसार, श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को श्राप से कोढ़ रोग हो गया था। उन्हें ऋषि कटक ने इस श्राप से बचने के लिये सूर्य भगवान की पूजा करने की सलाह दी। साम्ब ने मित्रवन में चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर कोणार्क में, बारह वर्ष तपस्या की और सूर्य देव को प्रसन्न किया। इसके बाद सूर्यदेव ने साम्ब के सभी रोगों का नाश कर दिया। 

कोणार्क के बारे यह भी कहा जाता है कि यहां आज भी नर्तकियों की आत्माएं आती हैं। अगर कोणार्क के पुराने लोगों की माने तो आज भी यहां आपको शाम में उन नर्तकियों के पायलों की झंकार सुनाई देगी जो कभी यहां राजा के दरबार में नृत्य करती थी। आश्चर्य की बात यह भी है कि कभी भी इस मंदिर में पूजा नहीं हुई। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में कभी पूजा नहीं हुई। कहा जाता है कि मंदिर के प्रमुख वास्तुकार के पुत्र ने राजा द्वारा उसके पिता के बाद इस निर्माणाधीन मंदिर के अंदर ही आत्महत्या कर ली जिससे बाद से इस मंदिर में पूजा या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

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