Tuesday, February 19, 2019

सीखने की कोई उम्र नहीं होती

ये किस्सा है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का। दरअसल, बात उस समय की है जब अटल बिहारी जी उच्चशिक्षा प्राप्त करने के लिए कानपुर जाना चाहते थे। वह कानून की पढ़ाई करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने डीएवी कॉलेज में एडमिशन लेने का विचार किया। कॉलेज में एडमिशन के लिए उन्होंने अपने पिता जी से बात की। जैसे ही उनके पिता ने एडमिशन की बात सुनी तो बोले- 'मैं भी तुम्हारे साथ कानून की पढ़ाई शुरू करूंगा।' अटल जी के पिता जी सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुके थे। ज्यादातर समय वो घर पर ही रहा करते थे। ऐसे में खुद को व्यस्त रखने का पढ़ाई से बेहतर कोई और साधन नहीं हो सकता। कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए दोनों पिता-पुत्र कानपुर आ गये। उन दिनों कॉलेज के प्राचार्य श्रीयुत कालका प्रसाद भटनागर हुआ करते थे। 



जब भटनागर जी ने पिता-पुत्र को एक साथ एडमिशन के लिये देखा तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। दोनों का एडमिशन एक ही सेक्शन में हो गया। अब जब पिता-पुत्र दोनों एक ही सेक्शन में पढ़ाई करेंगे तब कुछ तो अलग होगा ही। तो होता यूं था कि जिस दिन अटल जी क्लास में न आते, प्राध्यापक महोदय उनके पिताजी से पूछा करते- 'आपका बेटा कहां हैं? आज आया क्यों नहीं?' और जिस दिन पिता जी कक्षा में न जाते, उस दिन अटल जी से वही सवाल होता, 'आपके पिताजी कहां हैं?' और फिर वही ठहाकों से क्लास गूंज उठती। छात्रावास में ये पिता-पुत्र दोनों साथ ही एक ही कमरे में छात्र-रूप में रहते थे। झुंड के झुंड लड़के उन्हें देखने आया करते थे। सही में शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती। कभी भी, कहीं भी, अगर किसी से कुछ सीखने को मिले तो हमें जरूर सीखना चाहिए क्योंकि सीखने से कभी कोई छोटा नहीं होता।

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