Thursday, February 28, 2019

इस मंदिर में विराजते हैं भगवान वेंकटेश्वर

हमारे भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने आप में एक अलग महत्व रखते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है तिरुपित वेन्कटेशवर मंदिर, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में स्थित है। तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु का अवतार है और भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे निवास भी किया था। यह तालाब तिरुमाला के पास स्थित है। माना जाता है कि वैकुण्ठ में विष्णु इसी तालाब में स्नान किया करते थे। यह भी माना जाता है कि जो भी इसमें स्नान कर ले, उसके सारे पाप धुल जाते हैं और सभी सुख प्राप्त होते हैं। बिना यहाँ डुबकी लगाए कोई भी मन्दिर में प्रवेश नहीं कर सकता है। डुबकी लगाने से शरीर और आत्मा पूरी तरह से पवित्र हो जाते हैं।



भगवान वेंकटेश्वर के भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां आकर अपने बाल अर्पण करके जाते हैं। ऐसा कर वे भगवान विष्णु के अवतार, वेंकटेश्वर की आर्थिक सहायता करते हैं ताकि वे धन कुबेर से लिया गया उधार चुका सकें। इस मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर की सबसे खास बात इसकी दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्भुत संगम है। तिरुमाला- तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियाँ, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनी 'सप्तगिरि' कहलाती हैं। श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है, जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि वैकुंठ एकादशी के अवसर पर जो लोग यहाँ पर प्रभु के दर्शन के लिए आते हैं उनके सभी पाप धुल जाते हैं। मान्यता है कि यहाँ आने के पश्चात व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।   

1 comment:

  1. श्री वेंकटेश्वर मंदिर ने भारतीय धार्मिक विद्या में अद्वितीय पवित्रता प्राप्त कर ली है। शास्त्रों, पुराणों और कई अन्य शास्त्रों में घोषणा की गई है कि केवल वेंकटेश्वर की पूजा करने से ही आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

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