नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में जितना भी जाना जाए या पढ़ा जाए वो कम लगता है। जब भी हम नेताजी के बारे में पढ़ते हैं या सुनते हैं तो हमारे दिलों में एक जोश सा भर जाता है। नेताजी ने जुड़े हुए कई सारे किस्से हैं जो हम पढ़ते या सुनते है। आज हम आपको नेताजी के बचपन से जुड़ा हुआ एक किस्सा बता रहे हैं, आप भी पढ़िये इस रोचक किस्से को। बात उस समय की है जब नेताजी पांच साल के थे। नेताजी के 14 भाई-बहन थे और उसमें उनका 9वां नम्बर था। जब नेताजी के घरवालों ने उन्हें बताया कि अब वह भी अपने भाई-बहनों के साथ जायेंगे, तो वो इस बात से बहुत थे और सबसे ज्यादा खुशी तो इस बात की थी कि अब उनके लिए भी नई स्कूल ड्रेस बनेगी और वे उसे पहनकर स्कूल जायेंगे।
उनका बचपन से ही पढाई में मन लगता था। चौथी कक्षा में वे मिशनरी स्कूल को छोड़ रावेजा कॉलेजिएट स्कूल चले गये। तब उन्हें उनकी मातृभाषा बंगाली बिल्कुल नहीं आती थी और स्कूल के शिक्षकों ने उन्हें पहली बार बंगाली में लेख लिखने को कहा। जब उन्होंने लेख लिखकर दिखाया तो उसमें बहुत सारी गलतियां थी, तब उनके शिक्षक ने उनकी गलतियों को पूरी कक्षा के सामने सुनाया। शिक्षक का यह बर्ताव उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और इस बेइज्जती का बदला वार्षिक परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करके लिया। इसके बाद मैट्रिक की परीक्षा में कलकत्ता में टॉप अंक अर्जित किये। स्नातक की परीक्षा उन्होंने फिलोस्पी विषय में प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता से पास किया। माँ बाप का सपना पूरा करने के लिए ICS (इंडियन सिविल सर्विसेज) की परीक्षा पास कर 1919 में लंदन गये और ICS की परीक्षा में अंग्रेजी में सबसे ज्यादा नम्बर अर्जित किये और आल ओवर चौथा स्थान प्राप्त किया।
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