Tuesday, February 12, 2019

जानिए ब्राह्मण ने क्यों दिया था सूर्य पुत्र कर्ण को श्राप

आपको महाभारत का वो दृश्य तो याद होगा जिसमें सूर्य पुत्र कर्ण रण भूमि में अपने रथ से गिर जाते हैं और रण भूमि में उनकी मृत्यु हो जाती है। महाभारत में ये सब हुआ था एक श्राप के कारण। लेकिन क्या आपको पता है किसने कर्ण को यह श्राप दिया था। एक दिन की बात है जब सूर्य पुत्र कर्ण जंगल में शिकार पर गये हुए थे। तभी जंगल में उन्हें झाड़ियां हिलती हुई दिखी, बिना कुछ सोचे समझे ही और बिना कोई पड़ताल किये ही कर्ण ने उस झाड़ी में बाण चला दिया। वो सीधा झाड़ियों के पीछे खड़ी एक गाय को लग गया। उस गाय का रखवाला ब्राह्मण यह दृश्य देखकर कर्ण पर बहुत क्रोधित हो गया। जैसे ही कर्ण ने ब्राह्मण को गुस्से में देखा तो वह उनसे माफी मांगने लगे। ब्राह्मण ने कर्ण से कहा कि मैं तुम्हें माफ तो कर दूंगा पर पहले मेरी इस गाय को जीवित कर दो।



इसका भूखा बछड़ा मेरे घर पर बंधा हुआ है, और वह भूख से बिलख रहा होगा। मुझे इस गाय को उसके बछड़े के पास जीवित ले कर जाना है। कर्ण ऐसा करने के लिए अपनी असमर्थता जताते हैं। तभी वह ब्राह्मण कर्ण को उसकी गलती के लिए श्राप देते हुए कहते हैं- जिस तरह तुम रथ पर सवार हो कर, अपनी शक्तियों के मध में खुद को श्रेष्ठ समझने लगे हो और दूसरों पर बिना सोचे समझे कहर ढा रहे हो, एक दिन जब तुम अपने जीवन की सब से बड़ी लड़ाई लड़ रहे होगे तब तुम्हारे रथ के पहिये जमीन में धंस जाएंगे और भय का राक्षस तुम्हें चारों ओर से घेर लेगा। एक दिन उस श्राप का वह समय भी आता है जब कर्ण अपने जीवन की सब से बड़ी लड़ाई अर्जुन से लड़ रहे होते हैं। तभी कर्ण के रथ के पहिये रण भूमि में जमीन में धस जाते हैं और जब कर्ण जमीन में धसा पहिया निकालने नीचे उतरते हैं। इसी अवसर का लाभ उठा कर अर्जुन कपट से कर्ण का वध कर देते हैं। 

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