Tuesday, February 12, 2019

देवी मां के इस अद्भुत मंदिर ने उड़ा रखी है नासा के वैज्ञानिकों की नींद

हमारे देशभर में कई ऐसे मंदिर हैं जो वैज्ञानिकों के लिए आज भी रहस्य बने हुए हैं। वैज्ञानिक लाख कोशिशों के बाद भी उन मंदिरों के रहस्यों को आज भी उजागर नहीं कर पाये हैं। इन्हीं रहस्यमीय मंदिरों में से एक मंदिर है अल्मोड़ा का कसार देवी मंदिर। जो भी भक्त इस मंदिर में आता है वह अपना पूरा ध्यान यहां लगा पाते हैं। यह मंदिर अपनी अद्भुत चमत्कारी शक्तियों के लिये जाना जाता है, जिसे वैज्ञानिकों ने भी प्रमाणित किया है। नासा के वैज्ञानिक वर्ष 2012 से ही इसपर शोध कर रहे हैं। 



वैज्ञानिकों ने पता लगाया की यहां कसार देवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। यही कारण है कि यहां आनेवाले भक्त और सैलानी आसनी से यहां ध्यान लगा पाते हैं, मंदिर पर जाने के लिए पहाड़ पर बनी सैंकड़ों सीढ़ियां आसानी से पार कर लेते हैं और उन्हें थकान भी नहीं होती। ये विद्युत चुंबकीय तरंगे एक प्रकार से धरती के अंदर बने एक रेडिएशन क्षेत्र के कारण है लेकिन यह यहां किस प्रकार और क्यों बना या बन रहा है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। वैज्ञानिक पिछले कई सालों से इसका कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी तक इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली है।

ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवती दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थी। यह जगह देवी कात्यायनी के अवतरण का है। 2000 साल पहले इसी जगह पर दुर्गा का रूप मां कात्यायनी ने अवतार लेकर राक्षस शुंभ-निशुंभ का वध किया था और तब से वे यहीं विराजमान हैं। कसार देवी का मंदिर अल्मोड़ा शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवी का यह अद्भुत धाम कसाय पर्वत पर स्थित है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थित कसार देवी शक्तिपीठ, दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं। ये अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र माना जाता हैं जहां मानसिक शांति भी महसूस होती है। इन तीनों जगहों पर चुंबकीय शक्ति का विशेष पुंज है।

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