Saturday, February 16, 2019

जैसा भाव, वैसी सफलता

एक बार की बात है, महान रसायनशास्त्री आचार्य नागार्जुन को एक ऐसे नवयुवक की तलाश थी जो उनकी प्रयोगशाला में उनके साथ मिलकर रसायन तैयार करने में उनकी मदद कर सके। इसके लिये उन्होंने एक विज्ञप्ति निकाली और उस विज्ञप्ति को देखकर दो नवयुवक उनसे मिलने के लिए उनके पास आये। आचार्य नागार्जुन ने उन दोनों युवकों को रसायन घर से बनाकर लाने को कहा। पहला युवक दो दिन बाद रसायन बनाकर लेकर आया। तब नागार्जुन ने उससे पूछा कि तुम्हें इस काम में कोई कष्ट तो नहीं हुआ? 

युवक ने उत्तर दिया कि मान्यवर बहुत कष्ट उठाना पड़ा। पिती को उदर कष्ट था और मां ज्वर से पीड़ित थी। तथा छोटा भाई पैर पीड़ा से परेशान था तथा गांव में आग भी लग गई थी, पर मैंने किसी पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। मैं सिर्फ अपना रसायन बनाने में ही लीन रहा। आचार्य नागार्जुन उसकी बात को ध्यान से सुनते रहे लेकिन कुछ कहा नहीं। वो युवक अपने मन ही मन सोचता रहा कि आचार्य नागर्जुन उसका ही चुनाव करेंगे किसी और का नहीं, क्योंकि अभी तक दूसरा युवक आया भी नहीं है और वो सबसे पहले रसायन लेकर आया है।



कुछ देर बाद दूसरा युवक भी वहां आ गया। आचार्य ने उसे बड़े ही ध्यान से देखा वो बहुत उदास दिख रहा था। उन्होंने उस दूसरे युवक से पूछा कि क्यों क्या बात हैं? तुम रसायन लेकर नहीं आए? तब उसने जवाब दिया कि मैं रसायन बना ही नहीं सका, क्योंकि जैसे ही बनाने जा रहा था कि एक बूढ़ा रोगी दिखायी पड़ा, जो बीमारी से कराह रहा था। मैं उसको अपने घर ले गया और उसकी सेवा करने लगा। जब वह ठीक हो गया तो मुझे ध्यान आया कि मैंने रसायन तो बनाया ही नहीं। इसीलिये क्षमा मांगने के लिए यहां आ गया। कृपया मुझे दो दिन का समय दीजिये, मैं रसायन बना कर लाउंगा। 

तभी आचार्य नागार्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा कि कल से तुम काम पर आ जाओ। ये सुनकर पहला युवक बहुत हैरान हो गया वो सोचने लगा कि उसे क्यों नहीं चुना गया जबकि वो सबसे पहले रसायन बनाकर लाया है। आचार्य ने पहले युवक से कहा कि तुम जाओ तुम्हारे लिए मेरे पास स्थान नहीं है, क्योंकि तुम काम तो कर सकते हो, लेकिन यह नहीं जान सकते कि काम के पीछे उद्देश्य क्या है? उन्होंने कहा कि रसायन का काम रोग का निवारण करना है, जिसमें रोगी के प्रति संवेदना नहीं उसका रसायन कारगर नहीं हो सकता। आचार्य नागार्जुन की यह बात सुनकर पहला युवक हैरान हो गया और अपनी गलती मानकर वहां से वापस लौट गया।

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