Wednesday, February 13, 2019

आप भी पढ़िये श्रीहरि ने मोहिनी अवतार में कैसे दिखाई थी लीला

जब भी धरती पर पाप बड़ा तब-तब भगवान विष्णु ने अलग-अलग रूपों में अवतार लिया और धरती की रक्षा की। श्रीहरि का एक रूप ऐसा भी था जिसने हर किसी को मोह लिया था, और वो था मोहिनी अवतार। श्रीहरि ने अपना यह अवतार कई बार लिया था। लेकिन धर्मग्रंथों में दी गई जानकारी के मुताबिक, भगवान विष्णु ने तीन बार मोहिनी अवतार लिया था। सबसे पहले श्रीहरि ने अपना मोहिनी अवतार समुद्रमंथन के दौरान लिया था। तब अपने मोहिनी अवतार के रूप में श्रीहरि ने दैत्यों को इतना मोहित किया था कि अमृत के पीछे न भागते हुए मोहिनी के हाथों ही अमृत पीने की इच्छा जाहिर करने लगे थे। लेकिन मोहिनी अवतार में श्रीहरि ने देवों को अमृत और दानवों को सामान्य जल पिलाया था। दूसरी बार श्रीहरि ने मोहिनी अवतार लिया था भस्मासुर का वध करने के लिए। 



जब भस्मासुर को भगवान शिव ने वरदान दिया कि वह किसी पर भी हाथ रखे वो भस्म हो जाएगा। तब कुछ दिनों बाद वह देवी पार्वती पर ही मोहित हो गया और भगवान शिव पर हाथ रखने की कोशिश करने लगा। तब श्रीहरि ने मोहिनी अवतार लिया और भस्मासुर के समक्ष नृत्य करने की शर्त रखी और इस तरह नृत्य करते समय ही उसका हाथ उसी के सिर पर रखवा दिया। इस तरह भस्मासुर का अंत हुआ। और तीसरी बार भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप द्वापरयुग में लिया था। अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के लिए खुद की बलि देने का मन बनाया। बलि देने से पहले उसकी अंतिम इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी करना चाहता था। मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मर जाना था। तब श्रीहरि ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए बहुत रोए।

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