Saturday, February 23, 2019

राजा विक्रमादित्य ने की थी इस मंदिर की स्थापना

शनिवार के दिन शनिदेव के दर्शन करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और पूजा करने से शनि ढय्या खत्म होती है। वैसे तो शनिदेव के कई सारे मंदिर हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जिसकी कई सारी विशेषताएं। यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पट पर यह नवग्रह शनि मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने 2 हजार साल पहले की थी। राजा विक्रमादित्य ने मंदिर बनाने के बाद यही से विक्रम संवत की शुरुआत की थी। 



यह एक ऐसा मंदिर जहां शिव के रूप में शनि विराजित हैं और लोग मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां तेल चढ़ाते हैं। जिन लोगों पर शनि की ढय्या का प्रभाव होता है, वे ढय्या शनि को तेल चढ़ाते हैं। शनि की साढ़ेसाती और अन्य समस्याओं के लिए शनि की मुख्य प्रतिमा की पूजा की जाती है। शनि अमावस्या के दिन इस मंदिर में भीड़ लग जाती है और भक्त शनिदेव को तेल चढ़ाते हैं। मंदिर में इतनी भीड़ हो जाती है कि लोगों को दर्शन करने भी मुश्किल होते हैं। इसलिए लोगों को आसानी से दर्शन हो सकें, मंदिर के बाहर एलईडी डिस्प्ले की व्यवस्था की गई है। 

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