Sunday, February 24, 2019

स्वामी विवेकानंद ने बताया जीवन में क्या है मां का महत्व

एक दिन की बात है जब स्वामी विवेकानंद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। तब एक जिज्ञासु ने उनसे प्रश्न किया कि इस संसार में मां की महिमा कि वजह से गाई जाती है? स्वामी जी मुस्कुरा कर उस व्यक्ति से बोले कि तुम एक काम करो, पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ। जब व्यक्ति पत्थर ले आया तो स्वामी जी ने उससे कहा कि अब इस पत्थर को किसी कपड़े में लपेटकर अपने पेट पर बाँध लो और चौबीस घंटे बाद मेरे पास आओ तब मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा।



स्वामी जी के आदेशानुसार उस व्यक्ति ने पत्थर को अपने पेट पर बांध लिया और वहां से चला गया। पेट पर पत्थर बंधे हुए ही वो दिनभर अपना काम करता रहा, लेकिन काम करते समय उसे परेशानी और थकान महसूस हुई। शाम होते ही पत्थर का बोझ संभाले हुए उसके लिए चलना-फिरना असह्य हो उठा और उसके पास उस पत्थर को संभालने की ताकत भी नहीं रही। थका-हारा वह व्यक्ति स्वामी जी के पास पंहुचा और बोला कि मैं इस पत्थर को अब और अधिक देर तक नहीं बांध सकता।

उसने बोला कि मैं बहुत थक गया हूं और मेरा चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। एक प्रश्न का जबाव पाने के लिए मैं इतनी कड़ी सजा नहीं भुगत सकता हूं। स्वामी जी मुस्कुराते हुए बोले कि पेट पर इस पत्थर का बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया। जबकि मां अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक ढ़ोती है और गृहस्थी का सारा काम करती है। संसार में मां के सिवा कोई इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है। इसलिए माँ से बढ़ कर इस संसार में कोई और नहीं। 

No comments:

Post a Comment