हमारे देश में देवी मां के मंदिरों की बेहद ही पौराणिक कथाएं हैं और उनका अपना महत्व भी है। देवी मां के सिर्फ दर्शन मात्र से ही या उनका नाम लेने से ही भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती है। ऐसा ही एक मंदिर है देवी मां मनसा देवी का, जो उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार में स्तिथ है। मुख्य मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के आगे तीन पिंडिया है, जिन्हें मां के रूप में ही जाना जाता है। ये तीनों पिंडिया महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती है। मंदिर के परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णवी देवी, भैरव की मूर्तियां एवं शिवलिंग स्थापित है।
मनसा देवी मंदिर में चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है, जिसके चलते यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा कहते हैं माँ मनसा शक्ति का ही एक रूप है, जो कश्यप ऋषि की पुत्री थी। मनसा देवी कश्यप ऋषि के मन से अवतरित हुई थी, इसलिये वह मनसा कहलाई गई। नाम के अनुसार मनसा माँ अपने भक्तों की मनसा (इच्छा) पूर्ण करती है। मां के भक्त अपनी इच्छा पूर्ण कराने के लिए यहां आते हैं और पेड़ की शाखा पर एक पवित्र धागा बाँधते हैं। कहा जाता है कि देवी मनसा का पूजन पहले निम्न वर्ग के लोग ही करते थे परंतु धीरे धीरे इनकी मान्यता पूरे भारत में फैल गई।
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